ऋषिकेश- एम्स में विश्वस्तरीय स्वास्थ्य सुविधाओं से लगातार बढ़ रहा रोगियों का ग्राफ

त्रिवेणी न्यूज 24
ऋषिकेश – बीते 4 वर्षों में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में उत्तराखंड व इसके समीपवर्ती प्रदेशों में ही नहीं वरन समूचे देश में अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है। हालांकि यहां वर्ष 2013 में वाह्य रोगी विभाग (ओपीडी) सेवाओं की शुरुआत हो चुकी थी, लेकिन वर्ष 2016 के बाद से इस संस्थान में न केवल विश्वस्तरीय स्वास्थ्य सुविधाएं जुटाई जानी शुरू की गई, अपितु यह देश का पहला ऐसा सरकारी स्वास्थ्य संस्थान भी बन गया, जहां हैली एम्बुलैंस के माध्यम से देश के विभिन्न हिस्सों से आपात स्थिति के मरीजों को सीधे अस्पताल परिसर तक पहुंचाया जा सकता है। एम्स की बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं का ही प्रमाण है कि पिछले 4 वर्षों के दौरान संस्थान की ओपीडी में पहुंचने वाले मरीजों की संख्या में 6 गुना तक वृद्धि हो चुकी है। जबकि इस दौरान उपचार हेतु अस्पताल में भर्ती किए गए मरीजों की संख्या में 30 गुना बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है। ऋषिकेश में एम्स संस्थान की नींव वर्ष 2004 में 1 फरवरी को रखी गई थी। तत्कालीन केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री सुषमा स्वराज ने अस्पताल की नींव रखते हुए कहा था कि उत्तराखंड की इस देवभूमि में ’एम्स ऋषिकेश’ राज्यवासियों के लिए भविष्य में वरदान साबित होगा, और हुआ भी वही। निर्माण के बाद धीरे-धीरे एम्स अपने स्वरूप में आया तो शुरुआत में कुछ चिकित्सकों की तैनाती होने के बाद वह दिन भी आया जब 27 मई 2013 से यहां मरीजों के स्वास्थ्य जांच के लिए ओपीडी की सुविधा शुरू कर दी गई। इसके ठीक 8 महीने बाद 30 दिसंबर- 2013 से एम्स अस्पताल में आंतरिक रोगी विभाग (आईपीडी) और फिर 2 जून 2014 से शल्य चिकित्सा की शुरुआत की गई, इसके बाद यहां न केवल उत्तराखंड बल्कि देश के लगभग दर्जनभर अन्य राज्यों से भी मरीजों ने एम्स ऋषिकेश पहुंचना शुरू कर दिया। ओपीडी में मरीजों की आमद में सतत बढ़ोत्तरी के मद्देनजर वर्ष 2016-17 तक के शुरुआती 4 वर्षों तक अस्पताल प्रशासन विभिन्न स्वास्थ्य सुविधाओं को विकसित करने के लिए प्रयासरत रहा। मगर संस्थान ने स्वास्थ्य सेवाओं के मामले में रफ्तार वर्ष 2016-17 के बाद ही पकड़ी। संस्थान के निदेशक प्रोफेसर रवि कांत के कुशल मार्गदर्शन में यहां न केवल आधुनिक तकनीक आधारित उपचार की सुविधा शुरू हुई अपितु उच्च अनुभवी व विशेषज्ञ चिकित्सकों की नियुक्ति के साथ-साथ गरीब से गरीब मरीज को भी बेहतर उपचार मुहैया कराना एम्स का एकमात्र ध्येय बन गया। वर्ष 2016 के बाद एम्स ऋषिकेश के खाते में साल दर साल कई उपलब्धियां जुड़ती चली गईं। इनमें 100 से अधिक आफ्टरनून क्लीनिकों का संचालन किया जाना विशेष उपलब्धि में शामिल है। इन क्लीनिकों के शुरू होने पर ओपीडी के अलावा प्रतिदिन सैकड़ों मरीज अलग से देखे जाने लगे। यही नहीं पिछले 4 वर्षों के दौरान एम्स की ओपीडी में मरीजों की 6 गुना बढ़ोत्तरी का आंकड़ा दर्ज होना साबित करता है कि एम्स ऋषिकेश द्वारा उपलब्ध कराई जा रही स्वास्थ्य सुविधाओं और सेवाओं के प्रति आमजन में विश्वास लगातार बढ़ रहा है। आंकड़ों पर गौर करें तो प्रारंभ से वर्ष 2016-17 तक संस्थान की ओपीडी में 4 लाख 48 हजार 932 मरीजों का पंजीकरण किया गया था। जबकि इसके बाद के चार साल के समयांतराल में 31 दिसंबर- 2020 तक ओपीडी में पंजीकृत मरीजों का आंकड़ा 28 लाख 11 हजार 105 हो चुका है। निदेशक एम्स प्रो. रवि कांत ने बताया कि वर्ष 2018 सितंबर माह में शुरू हुई ’आयुष्मान भारत’ योजना के तहत 31 जनवरी-2021 तक 35 हजार 350 मरीजों का उपचार किया जा चुका है। उन्होंने बताया कि देश जब कोविड 19 वैश्विक महामारी के दौरान कोरोना संक्रमितों के इलाज के प्रति एम्स ऋषिकेश ने दो कदम आगे बढ़कर अपनी पूरी जिम्मेदारी का निर्वहन किया व इस आपात स्थिति में संस्थान के चिकित्सकों, नर्सिंग ऑफिसरों, टेक्नीशियनों सहित सभी फ्रंटलाइन वर्करों ने कोविड संक्रमण के जोखिम की परवाह किए बिना अपना संपूर्ण समय मरीजों की सेवा व उनकी जीवनरक्षा के प्रयासों में लगाया।

%d bloggers like this:
Breaking News