ऋषिकेश एम्स में विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर गोष्ठी का आयोजन हुआ।

त्रिवेणी न्यूज 24 –
ऋषिकेश l एम्म में विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर अधिक से अधिक निवेश ज्यादा से ज्यादा पहुंच विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इसमें बताया गया कि मानसिक स्वास्थ्य विश्वव्यापी बीमारी है इसके मद्देनजर वर्ष-1992 से विश्वभर में हर वर्ष 10 अक्टूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है। मानसिक बीमारी विश्वव्यापी है मगर यह भारत में अधिक महत्वपूर्ण है, जहां हाल ही में एक मेडिकल जर्नललैंसेट में प्रकाशित एक अध्ययन से पता चला है कि 7 में से 1 भारतीय जो देश की कुल आबादी के लिहाज से लगभग 20 करोड़ भारतीय हैं, किसी न किसी रूप से मानसिक बीमारी से ग्रसित हैं। दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2016 के अनुसार इनमें से औसतन 60 पर्तिशत रोगियों को
मानसिक बीमारी का कोई उपचार नहीं मिल पाता है।


मानसिक बीमारियों में चिंता विकार, डिप्रेसिव डिसऑर्डर, बाइपोलर डिसऑर्डर, साइकॉटिक डिसऑर्डर और सब्सटेंस यूज्ड डिसऑर्डर शामिल हैं, जिनमें से सब्सटेंस यूज्ड डिसऑर्डर सबसे आम बीमारी है। हालांकि, सब्सटेंस यूज्ड डिसऑर्डर के लिए उपचार प्राप्त करने वाले रोगियों का अनुपात सबसे कम है, इनमें से महज 15 प्रतिशत से भी कम रोगियों को उपचार प्राप्त हो पाता है। यही वजह है कि मानसिक बीमारी और पदार्थ उपयोग विकार के लिए उपचार संसाधनों की इस कमी को ध्यान में रखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वर्ष- 2020 के विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस को “सभी के लिए मानसिक स्वास्थ्य: अधिक से अधिक निवेश, ज्यादा से ज्यादा पहुंच’’ थीम के साथ मनाने का फैसला किया है। विशेषज्ञों के अनुसार ड्रग्स का उपयोग आज के समाज में एक बड़ी चुनौती है। ड्रग्स में ओपिओयडकैनबिस (जैसे-भांग, गांजा, चरस, हैश), ओपियॉइड् (जैसे-अफीम, हेरोइन, ट्रामाडोल, प्रॉक्सीवोन), उत्तेजक / हैलुसिनेन्स (जैसे कोकीन, एम्फ़ैटेमिन, मेथमफेटामाइन और शामक, कृत्रिम निद्रावस्था सम्मोहक, कृत्रिम निद्रावस्थाएं शामिल हैं। इन दवाओं का सेवन ज्यादातर मौखिक, सांस के मार्ग से किया जाता है, लेकिन इन्ट्रावीनस मार्ग से भी इसका सेवन किया जा सकता है।
उत्तराखंड राज्य में नशीली दवाओं के उपयोग का परिदृश्य गंभीर है, वजह नशीली दवाओं का उपयोग प्रतिशत राष्ट्रीय औसत से अधिक है।हालांकि, सामाजिक कलंक और नशे की लत के कारण उपचार की मांग बहुत कम है, जिसे एक नैतिक विफलता माना जाता है। लेकिन एकबार इलाज के लिए लाए जाने के बाद रोगी के स्वास्थ्य में सुधार होने लगता है। लिहाजा हमें पदार्थ के उपयोग के सामान्य लक्षणों के बारे में जागरुक होने की आवश्यकता है।
एम्स निदेशक प्रोफेसर डा. रवि कांत ने कहा कि वर्ष- 2020 के लिए डब्ल्यूएचओ की थीम ‘मानसिक स्वास्थ्य में निवेश में वृद्धि’ के बाद, एम्स ऋषिकेश ने स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा वित्तपोषित ड्रग ट्रीटमेंट सेंटर (डीटीसी) परियोजना विकसित की है। इस परियोजना के तहत सभी आधुनिक उपचार, अनुभवी चिकित्सक और दवाएं वर्तमान में संस्थान में शराब से संबंधित समस्याओं के इलाज के लिए उपलब्ध हैं। जिनमें अधिकांश दवाएं मरीजों को मुफ्त में दी जाती हैं।
शराब और नशीली दवाओं की समस्या से जूझ रहे मरीज डीटीसी हेल्पलाइन नंबर- 7456897874 पर सोमवार से शुक्रवार सुबह 8-30 से सांय 5-30 बजे और शनिवार को सुबह 8.30 बजे से 2 बजे तक दूरभाष पर संपर्क कर सकते हैं l

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