ऋषिकेश- उत्तराखंड प्रदेश में अब ड्रोन निर्माण के क्षेत्र में बढ़ने लगी संभावनाएं

त्रिवेणी न्यूज 24
देहरादून _ प्रदेश में अब ड्रोन निर्माण के क्षेत्र में संभावनाएं बढ़ने लगी हैं। कारण यह कि पहलगाम की घटना के बाद निवेशक यहां ड्रोन निर्माण के क्षेत्र में निवेश करने में रुचि दिखा रहे हैं। अभी यहां लगभग 10 कंपनियां ही ड्रोन निर्माण से सीधे जुड़ी हुई हैं। इनका वार्षिक कारोबार 25 से 30 करोड़ का है। ड्रोन के बढ़ते उपयोग को देखते हुए इसका कारोबार बढ़ने की उम्मीद है। उत्तराखंड में ड्रोन तकनीक को लगातार बढ़ावा दिया जा रहा है। सूचना प्रौद्योगिकी विकास प्राधिकरण स्वयं भी ड्रोन निर्माण कर रहा है। इसके साथ ही हरिद्वार, देहरादून और ऊधमसिंह नगर में कुछ कंपनियां ड्रोन निर्माण क्षेत्र से जुड़ी हुई हैं। प्रदेश में अभी ड्रोन का सबसे अधिक इस्तेमाल विवाह समारोह में होता है।
यद्यपि सरकार अब ड्रोन गलियारे बनाकर इनके माध्यम से दवा, चिकित्सा उपकरण, रक्त की थैली और नमूने आदि भेजने का सफल प्रयोग कर चुकी है। ऐसे में भविष्य में ड्रोन के जरिये सेवाएं लेने का दायरा बढ़ सकता है।
प्रदेश में इस समय तीन तरह के ड्रोन का निर्माण चल रहा है। इनमें पहली श्रेणी में विवाह व अन्य समारोह, शूटिंग व मैपिंग के लिए इस्तेमाल होने वाले ड्रोन हैं। ये 50 से 100 मीटर के दायरे में संचालित हो सकते हैं। इनका वजन एक किग्रा तक का होता है। दूसरी श्रेणी के ड्रोन आवश्यक सेवाओं में इस्तेमाल होने वाले ड्रोन हैं। इनका वजन पांच से 25 किग्रा तक होता है। ये 10 से 20 किमी की हवाई दूरी तय कर सकते हैं। इनसे दवा व खाद्य सामग्री भेजी जा सकती है। तीसरी श्रेणी के ड्रोन सर्विलांस, सुरक्षा व हथियार के रूप में इस्तेमाल किए जाते हैं। इनका वजन 20 से 100 किग्रा तक हो सकता है। ये 100 किमी तक की दूरी तय करने में सक्षम हैं। प्रदेश में ड्रोन नीति बनी हुई हैं, जिसमें इनके निर्माण से लेकर संचालन तक की व्यवस्था की गई है। सचिव उद्योग विनय शंकर पांडेय का कहना है कि प्रदेश में ड्रोन निर्माण के क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं। निवेशक भी इसमें रुचि दिखा रहे हैं। इसके लिए उद्योग विभाग के पास लगातार प्रस्ताव आ रहे हैं।