अब आस्थापथ पर सजने लगा अतिक्रमण,निगम ने चेताया

आस्थापथ पर अतिक्रमणकारियों का इस तरह कब्जा जमा है कि वहां से दिन में ही गुजरने से डर लग रहा है। यहां पर आम गुजरने वालों के साथ कुछ भी गलत घटित होने की पूरी संभावना बनी हुई है।
आस्थापथ का निर्माण गंगा किनारे प्राकृतिक का आनंद लेने के लिए हुआ था लेकिन आज इस पर पूरी तरह कब्जा हो गया है।
तीर्थनगरी के इन अतिक्रमणकारियों के सिर पर किसी ना किसी को हाथ तो आवश्यक है कि जो ये सरकारी संपत्ति पर कब्जा छोड़ने को राजी ही नहीं है। वहीं इन आस्थापथ के कब्जाधारियों पर नशाखोरी फैलाने के आरोप भी लग रहे हैं। कुछ वहां के स्थाई लोगों का तो ये भी कहना है कि पुलिस का रवैया भी शक के दायरे में है।
पहले जो अतिक्रमणकारी चंद्रभागा नदी में थे, आज वो आस्था पथ पर कब्जा करके जम गए हैं। इन्होंने आस्थापथ के किनारे अपनी झोपड़ियां ऐसे बसा दी है जिससे आशंका प्रतीत होती है इसमें किसी जनप्रतिनिधि या किसी पार्टी के बड़े नेता का हाथ हो सकता है।
इसी मायाकुंड में स्थित आस्थापथ का स्थलीय निरीक्षण किया। वहां देखकर ऐसा लगा कि हम ऐसे प्रशासनिक माहौल में रह रहे हैं कि जहां आस्थापथ पर इसकदर अतिक्रमण हो जाता है और किसी को कानों कान कोई खबर ही नहीं है। ये तो मौका मुआयना से साफ लगा कि इन्हें यहां बसाने वाला बहुत ही प्रभावशाली है और प्रशासन को गांधी का बंदर बनने को मजबूर किया है।
वहीं सबसे ताज्जुब की बात ये है कि इस आस्थापथ का कोई सर्वेसर्वा नहीं दिख रहा है। इस आस्थापथ को बनाने वाले सिंचाई विभाग के एसडीओ अनुभव नौटियाल का कहना है कि हमने ये संपत्ति नगर निगम के सुपुर्द कर दी है। अब इसमें होने वाले कब्जों को भी नगर निगम ही देखेगा। वहीं कब्जों को हटाने के लिए बनी टास्कफोर्स पर एसडीओ का कहना है कि इसके बारे में एसडीएम ही बता सकते हैं।
वहीं इस बारे में नगर निगम के मुख्य नगर आयुक्त एनएस क्विरियाल का कहना है कि मैं जल्द से जल्द इसमें निरीक्षण की कार्यवाही करूंगा और इसे हटाने का पूरा प्रयास किया जाएगा।

इसी विषय में उपजिलाधिकारी प्रेम लाल का कहना है कि हमने जब चंद्रभागा नदी को खाली करवा दिया तो एक दिन इस आस्थापथ को भी खाली करवा देंगे।
अब अधिकारी तो एक बार हटाने आ जाएं बशर्ते ऊपर से कोई फोन करके इनकी कार्यवाही पर अड़ंगा न डाल दे। इन आस्थापथ पर अब झोपड़ी बनाने के लिए कई दूसरे लोगों द्वारा कब्जा करना भी देखने को मिला। जिससे एक झोपड़ी के हज़ार से दो हज़ार तक किराया भी मिल जाए।
चंद्रभागा से हटे अतिक्रमण और आस्थापथ में बसे इन लोगों के बारे में यहां के आसपास जानकारों का ये तक कहना है कि जो वाकई में मजबूर थे वो तो कहीं किराए के मकान में चले गए हैं और जो यहां आज भी बसे हुए हैं उनमें से अधिकत्तर या तो शराब बेचने का काम करते हैं या चरस या गांजा। यही नहीं इनके द्वारा नदी किनारे अवैध खनन भी दबाकर किया जा रहा है।

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