ऋषिकेश- मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल सहित कई दिग्गज नेताओं से की मुलाकात

त्रिवेणी न्यूज 24
नई दिल्ली-मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने दिल्ली में पार्टी नेतृत्व से लेकर केंद्रीय मंत्रियों, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और बीजेपी मीडिया इंचार्ज व राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी जैसे दिग्गज नेताओं से मुलाकात की।
प्रदेश की पॉवर क्राइसिस से निपटने को लेकर केंद्रीय मंत्री आरके सिंह सहित अन्य मंत्रियों से मिलना रूटीन टास्क का हिस्सा माना जा सकता है। लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी से मुलाकात के खास मायने हो सकते हैं। शनिवार को सीएम धामी ने एनएसए अजीत डोभाल से मुलाकात की है। बताया जा रहा है कि दोनों के बीच विभिन्न समसामयिक विषयों पर चर्चा हुई है। एनएसए अजीत डोभाल भी मूलत: उत्तराखंड से पौड़ी जिले के हैं। उनको प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बेहद करीबियों में शुमार किया जाता है। उत्तराखंड के पॉवर कॉरिडोर्स में यह तथ्य एक स्थापित सत्य है कि राज्य के सत्ताधारी दल बीजेपी से नेताओं का ऑन रिकॉर्ड और परदे के पीछे से एनएसए डोभाल से मिलना जुलना होता रहता है। उत्तराखंड बीजेपी ने एकाध दिग्गज तो एनएसए अजीत डोभाल से अपने करीबी रिश्ते के दम पर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर भी पैनी नजर गड़ाए रहते हैं। ऐसे में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का एनएसए डोभाल से मिलना खासा सियासी मायने लिए हुए हैं। बताया जा रहा है कि धामी ने एनएसए को चारधाम यात्रा पर आने का निमंत्रण भी दे दिया है। ज्ञात हो कि एनएसए अपने कुल देवता पूजने अपने पैतृक गांव आते रहे हैं। जाहिर है एनएसए डोभाल उत्तराखंड के राजनीतिक और सामयिक डेवलपमेंट से अपडेट रहते हैं। मुख्यमंत्री की उनसे मुलाकात के गहरे निहितार्थ समझे जा रहे हैं। यह भी संभव है कि इसी महीने अपनी सरकार पहला साल पूरा कर रहे युवा मुख्यमंत्री केंद्रीय बीजेपी सत्ता प्रतिष्ठान में खासा रसूख रखने वाले चेहरों से आशीर्वाद और मार्गदर्शन भी ले रहे हों। इससे पहले शुक्रवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की बीजेपी के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी और राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी के साथ लंच डिप्लोमेसी डेढ़ दो घंटे चली। बताया गया कि दोनों नेताओं की शुक्रवार की मुलाकात से पहले आखिरी बैठकी पिछले साल सितंबर में हुई थी। दरअसल बलूनी 2017 से ही खुद को सीएम रेस में गिनते रहे लेकिन पहले त्रिवेंद्र सिंह रावत फिर तीरथ सिंह रावत और 22 बैटल से ठीक पहले पुष्कर सिंह धामी की ताजपोशी उनके लिए झटका रहीं। यही वजह रही कि बाइस बैटल ने जब बीजेपी जीत गई और सरकार की अगुआई कर रहे सीएम धामी खुद शिकस्त खा बैठे तब राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी के लिए बड़ा पॉलिटिकल अवसर हाथ आया था। लेकिन मोदी-शाह ने हार के बावजूद सत्ता की जीत का सेहरा फिर धामी के सिर बांध दिया तो यह बलूनी के लिए सबसे तगड़ा झटका था। इसके बाद से बलूनी की सक्रियता स्लेजी पार्टी दफ्तर और पार्टी की गतिविधियों तक सिमटती चली गई। इधर राजनीतिक पंडितों ने इसका यह भी अनुमान लगाया कि मोदी शाह ने जब कहीं न कहीं एक युवा चेहरे के तौर पर पुष्कर सिंह धामी को ही तवज्जो दी है। तब उनके समानांतर किसी दूसरे युवा चेहरे का पॉवर सेंटर बनने देना डिस्टरबेंस ही क्रिएट करेगा। इसीलिए बलूनी को फिलहाल प्रदेश पॉलिटिक्स से दूर रहने का इशारा हुआ।
बहरहाल, अब जब लोकसभा की रणभेरी इसी साल जाते-जाते बाज सकती है और पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से लेकर विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी भूषण के बहाने युवा मुख्यमंत्री को कई मोर्चों पर घिरते पाया जा रहा तब सीएम का दिल्ली में डटकर सक्रिय होना समझा जा सकता है। गैरसैंण में बजट सत्र का आगाज हो रहा है और सत्र में जहां बजट के बहाने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी “उत्कृष्ट उत्तराखंड @2025” के दिखाए सपने का स्वरूप स्पष्ट करना चाहेंगे वहीं विपक्ष की घेराबंदी से भी पार पाना चाहेंगे। जाहिर है पहाड़ चढ़ने से पहले दिल्ली डटकर सीएम धामी नई ऊर्जा हासिल कर लेना चाह रहे हैं।

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