ऋषिकेश- संस्कृत शिक्षकों ने द्वितीय राजभाषा संस्कृत के साथ सरकार के रवैये पर किया आक्रोश व्यक्त

त्रिवेणी न्यूज 24
ऋषिकेश _ त्रषिकेश के समस्त संस्कृत विद्यालयों के शिक्षकों की एक बैठक श्री नेपाली संस्कृत विद्यालय में सम्पन्न हुई। जिसमें नगर के समस्त संस्कृत विद्यालयों के शिक्षक सम्मिलित हुए। बैठक में मुख्य रुप से प्रदेश में द्वितीय राजभाषा संस्कृत के साथ सरकार के रवैये पर आक्रोश व्यक्त किया गया। शिक्षकों ने कहा कि प्रदेश में संस्कृत के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। उत्तराखंड संस्कृत विद्यालय प्रबन्धकीय शिक्षक संघ के अध्यक्ष डॉक्टर जनार्दन कैरवान ने कहा कि सरकार ने उत्तराखंड संस्कृत शिक्षा निदेशालय एवं उत्तराखंड संस्कृत शिक्षा परिषद देहरादून से हरिद्वार ले जाकर हजारों संस्कृत छात्रों के भविष्य को संकट में डाल दिया है। उत्तराखंड संस्कृत शिक्षा परिषद देहरादून के नाम से पंजीकृत है तथा उत्तराखंड विधानसभा द्वारा पारित अधिनियम में स्पष्ट है कि परिषद का मुख्यालय देहरादून में होगा। फिर भी सरकार ने बिना कुछ सोचे समझें उसे हरिद्वार में स्थानांतरित कर दिया। जिससे हजारों संस्कृत छात्रों के भविष्य पर संकट आ गया है। उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती सरकारों द्वारा संस्कृत भाषा के प्रचार- प्रसार हेतू हरिद्वार में उत्तराखंड संस्कृत अकादमी की स्थापना की गई थी। जिसमें सरकार द्वारा किसी संस्कृत के सुयोग्य विद्वान को उपाध्यक्ष नियुक्त किया जाता था। साथ ही अकादमी की कार्यकारिणी में प्रदेश के संस्कृत विद्वान होते थे। परन्तु सरकार ने उस पूरी नियमावली को ही बदल कर के उपाध्यक्ष के पद को समाप्त करते हुए संस्कृत के विद्वानों को भी हटाने का निर्णय लिया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है। डाँक्टर ओमप्रकाश पूर्वाल ने कहा कि सरकार के इस प्रकार के निर्णयों से संस्कृत जगत में रोष व्याप्त है। विगत 2008 से प्रदेश के संस्कृत विद्यालयों /महाविद्यालयों में उत्तराखंड संस्कृत अकादमी द्वारा 50 शिक्षकों को मानदेय दिया जाता था उसे भी समाप्त कर दिया गया है। आजादी के पूर्व से चल रहे संस्कृत के गुरुकुलों को आज समाप्त करने की साजिश की जा रही है। प्रदेश के सुदूर पहाड़ी क्षेत्र में कन्या संस्कृत महाविद्यालय के पद सृजन के शासनादेश एवं मान्यता सम्बन्धी आदेश को निरस्त किया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है।इस प्रकार अनेकों निर्णय संस्कृत के अहित में लिए जा रहे विगत चार माह से संस्कृत शिक्षकों को वेतन नहीं मिल रहा है देवभूमि में देववाणी की इस दुर्दशा को देखकर संस्कृत जगत में अत्यधिक आक्रोश व्याप्त है। अगर सरकार ने इन गलत निर्णयों को अति शीघ्र वापस नहीं लिया तो समस्त संस्कृत संगठन, अध्यापक, छात्र मिलकर संस्कृत बचाओ संघर्ष समिति बनायेंगे और सम्पूर्ण प्रदेश में आन्दोलन के लिए बाध्य होंगे। बैठक में शान्ति प्रसाद डंगवाल, विनायक भट्ट, जितेन्द्र भट्ट , वीजेन्द्र मौर्य, सुशील नौटियाल, विनोद गैरोला, विपिन बहुगुणा , आशीष जुयाल, नवीन भट्ट , मनोज कुमार द्विवेदी, सत्येश्वर डिमरी,कामेश्वर लसियाल, गणेश भट्ट, प्रेम चन्द नवानी, नव किशोर सुभाष चन्द्र डोभाल सहित समस्त शिक्षक उपस्थित थे।

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