आज संसद में विपक्ष ने बजट सत्र के दौरान CAA के खिलाफ लगाए नारे, बोले – गोली मारना बंद करो, देश को तोड़ना बंद करो!

नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ अभी तक तो सड़कों पर विरोध प्रदर्शन देखने को मिला, लेकिन अब यह मामला संसद में भी पहुंच गया है। लोकसभा और राज्यसभा में कांग्रेस की ओर से नोटिस दिए गए हैं। सोमवार को जैसे ही बजट सत्र शुरू हुआ, सीएए और एनआरसी के मुद्दे पर हंगामा होने लगा। कांग्रेस, तृणमूल, माकपा और राजद सहित विपक्षी दलों ने लोकसभा में गोली मारना बंद करो, देश को तोड़ना बंद करो के नारे लगाना शुरू कर दिया। बसपा सांसद सतीश चंद्र मिश्रा ने नागरिकता संशोधन कानून के लिए राज्यसभा में स्थगन प्रस्ताव दिया है।

छात्रों पर हो रहा है जुल्म : ओवैसी
लोकसभा में अनुराग ठाकुर जैसे ही बोलने के लिए उठे, विपक्ष ने गोली मारना बंद करो के नारे लगाना शुरू कर दिया। बजट सत्र के दौरान आईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि छात्रों पर जुल्म हो रहा है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार जामिया के बच्चों पर जुल्म कर रही है। हम जामिया के बच्चों के साथ हैं। एक बच्चे की आंख चली गई, बेटियों को मार रहे हैं। शर्म आनी चाहिए इनको, बच्चों को गोलियां मार रहे हैं।

– लोकसभा में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा, भारत के आम लोग संविधान बचाने के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं। वे संविधान को हाथ में लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं और राष्ट्रगान गा रहे हैं लेकिन उनपर ही गोलियां चलवाई जा रही हैं। देश के लोगों को निर्दयता से मारा जा रहा है।

31 जनवरी से शुरू है बजट सत्र
बजट सत्र की शुरुआत 31 जनवरी से हुई। इसके बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक फरवरी को देश का बजट पेश किया। नागरिकता संशोधन कानून को असंवैधानिक करार देते हुए विपक्ष ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है, जिसपर इसी महीने सुनवाई होने वाली है।

क्या है स्थगन प्रस्ताव?
यह एक ऐसा प्रस्ताव होता है, जो देश की किसी गंभीर और अविलंबनीय समस्या पर चर्चा के लिए लाया जाता है। ऐसी समस्या को टालना देश या समाज के लिए घातक हो सकता है। ऐसे प्रस्ताव पर चर्चा के लिए सदन की सारी नियमित कार्यवाही रोक दी जाती है, यानी स्थगित कर दी जाती है, इसलिए इसे स्थगन प्रस्ताव कहते हैं।

क्या है नागरिकता संशोधन कानून

नागरिकता संशोधन विधेयक को 10 दिसंबर को लोकसभा ने पारित किया। इसके बाद राज्य सभा में 11 दिसंबर को पारित हुआ। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद 12 दिसंबर को यह विधेयक कानून बन गया। इस कानून के मुताबिक, बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को भारत में नागरिकता दी जाएगी। नागरिकता के लिए संबंधित शख्स 6 साल पहले भारत आया हो। इन देशों के छह धर्म के अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता मिलने का रास्ता खुला। ये 6 धर्म हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, ईसाई और पारसी हैं।

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