ऋषिकेश- चैत्र नवरात्रि के साथ हिंदू नव संवत्सर की शुरुआत 2 अप्रैल से

त्रिवेणी निज 24
ऋषिकेश- 2 अप्रैल शनिवार से चैत्र नवरात्रि के साथ हिंदू नव वर्ष की शुरुआत नव संवत्सर के साथ हो जाएगी। उत्तराखंड ज्योतिष रत्न आचार्य डॉ. चंडी प्रसाद घिल्डियाल का कहना है कि
चैत्र के महीने में इस नवरात्रि के पड़ने के कारण इसे चैत्र नवरात्रि कहा जाता है। इस दौरान विधि-विधान से मां दुर्गा के अलग-अलग नौ रूपों की पूजा की जाती है। चैत्रनवरात्रि के नौ दिनों का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। नवरात्रि के नौ दिनों में प्रत्येक दिन मां दुर्गा के अलग-अलग नौ रूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि में बहुत लोग व्रत-उपवास भी रखते हैं। अपनी इच्छा और सामर्थ्य के अनुसार भक्त नौ दिनों का फलाहार या एक समय सेंधा नमक वाला भोजन खा कर देवी दुर्गा की अराधना करते हैं। इस बार चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 2 अप्रैल से हो रही है और और 11 अप्रैल सोमवार को नवरात्रि का समापन होगा।
घटस्थापना का शुभ मुहूर्त _
शनिवार, दो अप्रैल को आचार्य चंडी प्रसाद घिल्डियाल बताते हैं कि यद्यपि ब्रह्म मुहूर्त किसी भी शुभ कार्य के लिए सर्वोत्तम होता है। लेकिन विशेष रूप से घट स्थापन के लिए- 06:10 सुबह से 08:31 सुबह अवधि – 02 घण्टे 21 मिनट्स का है।
घटस्थापना अभिजित मुहूर्त – 12:00 दोपहर से 12:50 दोपहर तक अवधि – 00 घण्टे 50 मिनट्स
प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ – अप्रैल 01, 2022 को 11:53 बजे सुबह से, प्रतिपदा तिथि समाप्त – अप्रैल 02 को 11:58 बजे सुबह तक।
चैत्र नवरात्रि कलश स्थापना विधि
चैत्र नवरात्रि के लिए कलश स्थापना करने जा रहे हैं तो पहले कलश स्थापना की विधि जान लें
कलश स्थापना नवरात्रि के पहले दिन की जाती है। कलश स्थापना के लिए मिट्टी के बर्तन (कलश), पवित्र स्थान से लाई गई मिट्टी या बालू, गंगाजल, सुपारी, चावल, नारियल, लाल धागा, लाल कपड़ा, आम या अशोक के पत्ते,और फूल की जरूर होती है।
कलश स्थापना से पहले अपने घर के मंदिर को अच्छी तरह साफ कर लें और लाल कपड़ा बिछा दें।
अब इस कपड़े पर कुछ चावल रख दें, जौ को मिट्टी के चौड़े बर्तन में बो दें, अब इस पर पानी से भरा कलश रखें, कलश पर कलावा बांधें, साथ ही कलश में सुपारी, एक सिक्का और अक्षत डाल दें, कलश में आम या अशोक के पांच पत्ते रखें,
कलश के ऊपर लाल चुनरी में लपेटा हुआ नारियल रखें।