ऋषिकेश- ऋषिकेश में संस्कृत विद्यालयों के प्रधानाचार्य का दो दिवसीय प्रशिक्षण शिविर शुरू

त्रिवेणी न्यूज 24
ऋषिकेश – उत्तराखंड के संस्कृत शिक्षा निदेशक शिवपसाद खाली ने कहा कि वर्तमान समय में संस्कृत देववाणी को बचाया जाना अत्यंत आवश्यक है। इसके लिए उत्तराखंड में स्थापित 97
संस्कृत विद्यालय महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे है।
शनिवार को श्री जयराम आश्रम संस्कृत महाविद्यालय में दो दिवसीय प्रधानाचार्य प्रशिक्षण कार्यशाला का शुभारंभ किया गया। इस मौके पर शिक्षा निदेशक खाली ने कहा कि संस्कृत का उद्धार तभी होगा जब हम कड़ी मेहनत और निष्ठा के साथ कार्य करेंगे। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में नूतन पाठ्यक्रम भी बहुत अच्छा बना है ,जिसे बनाए जाने के लिए सभी की मेहनत लगी है। उन्होंने कहा कि संस्कृत विद्यालय में कार्यरत प्रधानाचार्य को और अच्छा वेतन दिये जाने के साथ उनकी समस्याओं का निराकरण किया जा सके इसके लिए सरकार पूरी तरह कटिबद्ध है। लेकिन हमें भी इसके लिए पूरी मेहनत करनी होगी। संस्कृत सभी भाषाओं की जननी है, उसके लिए हमें अन्य लोगों को भी जागरूक किए जाने की आवश्यकता है। आज मनुष्य के प्रातः उठने से लेकर उसके अंतिम समय तक संस्कृत में दिए गए मंत्रों का काफी महत्व है। कार्यशाला के दौरान वर्तमान समय में विद्यालयों की स्थिति और भूमिका , आदर्श विद्यालयों की संरचना और उनमें संसाधनों की अभिवृद्धि किए जाने के साथ सामुदायिक सहभागिता निभाने पर भी विचार किया गया। इस दौरान विद्यालय भवन का निर्माण किए जाने के अतिरिक्त छात्रों की संख्या बनाए जाने के साथ बाल अधिकार सुरक्षा एवं स्वास्थ्य जैसे विषय पर भी विचार किया गया। कार्यशाला में उपनिदेशक पद्माकर मिश्र, सहायक निदेशक हरिद्वार वाजसरवा, संजू प्रसाद ध्यानी , मुख्य प्रशासनिक अधिकारी शिक्षा निदेशालय खिलाफ सिह , उत्तम सिंह राणा, मायाराम रसौली प्रधानाचार्य जयराम आश्रम, शिव प्रसाद भट्ट प्रभारी प्रधानाचार्य, डॉ जनार्दन कैरवान, विजय जुगराण, ओमप्रकाश पोरवाल ,विवेक पुरी, बृजेश शैयाणा, वाणी भूषण भट्ट ,शैलेंद्र कोठियाल, राम प्रसाद थपलियाल, उत्तराखंड के सभी संस्कृत विद्यालयों के प्रधानाचार्य उपस्थित थे।

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