ऋषिकेश- एम्स के विशेषज्ञ डॉक्टरों ने कहा कि करोना काल मे बच्चों पर रखे विशेष ध्यान।

त्रिवेणी न्यूज 24
ऋषिकेश – लॉकडाउन के बाद से बंद विद्यालय अगले महीने से खुलने जा रहे हैं। जिसके मद्देनजर बच्चों को स्कूल भेजने में कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में लाॅकडाउन से इतर बच्चों की सामान्य दिनचर्या में लाने के लिए एम्स के विशेषज्ञ चिकित्सकों ने सुझाव दिए हैं।चिकित्सकों का सुझाव है कि पिछले करीब 7 महीने से घरों तक सीमित रहे बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास पर अभिभावकों को विशेष ध्यान देना होगा।
कोविड19 के विश्वव्यापी प्रकोप के चलते मार्च में देशभर में हुए लाॅकडाउन के बाद से अक्टूबर तक सात महीने का लंबा समय बच्चों ने घरों की चाहरदिवारी में बिताए हैं। इन हालातों का सामना आंगनबाड़ी केंद्रों में जाने वाले नौनिहालों से लेकर अन्य कक्षाओं के विभिन्न आयुवर्ग के स्कूली बच्चों को करना पड़ा है। मगर सरकार अब सरकार नवंबर माह से स्कूलों को खोलने की तैयारी में जुट गई है l लंबे समय बाद बच्चों को स्कूल जाने के लिए घरों से बाहर निकलना होगा। ऐसे में उन्हें शारीरिक और मानसिक तौर पर विभिन्न तरह के बदलावों से भी गुजरना पड़ सकता है।
एम्स निदेशक प्रोफेसर रवि कांत ने बताया कि कोविड-19 ने अभिभावकों में बच्चों के प्रति व्यापक चिंता पैदा की है। लिहाजा इस बीमारी के दुष्प्रभावों को लेकर माता-पिता द्वारा आशंकित होना और बच्चों की सुरक्षा के बारे में चिंता करना स्वाभाविक है। उन्होंने कहा कि बच्चों में स्वच्छता बनाए रखने के लिए उन्हें साबुन से बार-बार हाथ धोने के लिए प्रेरित करना जरूरी है। बच्चों में विटामिन- डी की कमी नहीं हो, इसलिए धूप में थोड़ी देर परस्पर 1 से 2 मीटर की दूरी बनाते हुए और मास्क पहनकर खेलने दें। साथ ही स्क्रीन टाइम कम करने के लिए उन्हें किताबें पढ़ने, व्यायाम करने और परिवार के साथ समय बिताने के लिए उनमें रुचि पैदा करनी चाहिए।
उन्होंने अभिभावकों को सलाह दी है कि लॉकडाउन के करीब 7 माह के लंबे समयांतराल में पूर्णरूप से घर के माहौल में ढल चुके प्राथमिक व मीडिल कक्षाओं के बच्चों को अब लंबे समय बाद स्कूल जाने में कई तरह की कठिनाइयां आ सकती हैं। लिहाजा स्कूल खुलने व पाठन- पाठन शुरू करने के प्रारंभिक दिनों में बच्चों को पहले से अधिक प्यार और भावनात्मक लगाव के साथ स्कूल के लिए प्रेरित करने की आवश्यकता है। इसके साथ ही शुरुआत में उन्हें संबंधित पाठ्यक्रम के महत्वपूर्ण लेक्चर्स में शामिल किया जाए, जिससे छात्र धीरे-धीरे स्कूल टाईम के अनुरूप अपने मनोमस्तिष्क को तैयार कर सकें।
विशेषज्ञ चिकित्सकों के अनुसार लाॅकडाउन के बाद काफी समय तक घरों में रह रहे बच्चों में विटामिन- डी की कमी का होना स्वाभाविक है। सूर्य के प्रकाश के संपर्क में नहीं आने से शरीर में विटामिन- डी की कमी होने लगती है, जिसकी वजह से हड्डियों में कमजोरी, मांसपेशियों के विकास में कमी के साथ साथ बच्चों का मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित हुआ है। विशेषज्ञों के अनुसार एक बच्चे को प्रतिदिन 600 यूनिट विटामिन- डी की आवश्यकता होती है। इस कमी को दूर करने के लिए उन्हें प्रतिदिन 30 मिनट से 1 घंटे तक गुनगुनी धूप सेंकना जरूरी है। साथ ही बच्चों में विटामिन- डी की कमी को पूरा करने के लिए विटामिन वाले खाद्य पदार्थ जैसे मछली, अंडा, मशरूम, दूध व दही का सेवन लाभकारी है।