ऋषिकेश- उत्तराखंड में जबरन धर्मांतरण पर कानून और सख्त, अब होगी 14 साल तक जेल
त्रिवेणी न्यूज 24
देहरादून _ सामान्य वर्ग के मतांतरण के मामलों में पूर्व में दो से सात साल तक की सजा और 25 हजार रुपये के जुर्माने का प्रविधान था। अब जुर्माना राशि दोगुना करने के साथ ही सजा की अवधि तीन से 10 साल की गई है। अनुसूचित जाति, जनजाति व दिव्यांग जनों के मामलों में पूर्व दो से 10 वर्ष की सजा और 25 हजार के जुर्माने का प्रविधान था। अब सजा की अवधि पांच से 14 साल और जुर्माना राशि एक लाख रुपये की गई है। सामूहिक मतांतरण के मामलों में पहले तीन से 10 साल की सजा और 50 हजार रुपये के जुर्माने का प्रविधान रखा गया था। अब सजा की अवधि बढ़ाकर सात से 14 साल और जुर्माना राशि एक लाख रुपये की गई है। संशोधन विधेयक के अनुसार यदि कोई व्यक्ति मतांतरण के आशय से किसी व्यक्ति को उसके जीवन या संपत्ति के लिए भय, हमला व बल प्रयोग करता है, विवाह का वचन देता है या इसके लिए उत्प्रेरित करता है अथवा षड्यंत्र करता है, प्रलोभन देकर नाबालिक महिला व पुरुष की तस्करी करता है या फिर दुष्कर्म का प्रयास करता है तो ऐसे मामलों में भी कानून को कठोर किया गया है। इसके तहत 20 वर्ष के कठोर कारावास की सजा का प्रविधान किया गया है, जिसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकेगा।
विदेशी या अविधिक संस्थाओं से चंदा लेने पर 10 लाख जुर्माना _
विधेयक में पहली बार यह प्रविधान किया गया है कि यदि कोई व्यक्ति जबरन मतांतरण के संबंध में किसी विदेशी या अविधिक संस्थाओं से धन प्राप्त करेगा तो उस पर भी कड़ी कार्रवाई होगी। इसके लिए सात से 14 साल की सजा और 10 लाख रुपये का जुर्माना वसूला जाएगा। मतांतरण के लिए इंटरनेट नेटवर्किंग साइट का इस्तेमाल करने वालों पर भी शिकंजा कसा गया है। इस तरह की गतिविधियों में लिप्त तत्वों पर इस अधिनियम के साथ ही आइटी एक्ट के तहत भी कार्रवाई होगी। अधिनियम में इसके लिए दो से सात साल तक की सजा और 50 हजार रुपये के जुर्माने का प्रविधान है।
संपत्ति कुर्क करने को डीएम अधिकृत _
मतांतरण के मामलों में गैंगस्टर एक्ट की तरह आरोपित की संपत्ति कुर्क करने का प्रविधान भी किया गया है। इसके लिए डीएम को अधिकृत किया गया है।
कोई भी दर्ज करा सकता है प्राथमिकी _
मतांतरण के मामले में अब कोई भी व्यक्ति पुलिस में प्राथमिकी दर्ज करा सकता है। पहले पीडि़त के रक्त संबंधी रिश्तेदार द्वारा ही प्राथमिकी दर्ज कराने का प्रविधान था। राज्य में चल रहे आपरेशन कालनेमि की छाप भी अब मतांतरण अधिनियम में दिखेगी।
