ऋषिकेश- एम्स में विशेषज्ञ चिकित्सकों ने दी एंटीबायोटिक दवाओं के इस्तेमाल के लिए निर्धारित मानकों की जानकारी।

त्रिवेणी न्यूज़ 24 अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में वर्ल्ड एंटीमाइक्रोबेल एवरनैस वीक के तहत आयोजित कार्यक्रम में विभिन्न सर्जरी एवं सामान्य चिकित्सा विभागों के विशेषज्ञ चिकित्सकों ने एंटीबायोटिक दवाओं के इस्तेमाल के लिए निर्धारित मानकों का खयाल रखने पर जोर दिया। व्याख्यानमाला के माध्यम से उन्होंने लोगों से अपील की कि किसी भी बीमारी में बिना विशेषज्ञ चिकित्सक की सलाह से एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग नहीं करें, ऐसा करने पर एंटीबायोटिक जीवन को संकट में डाल सकता है। निदेशक एम्स प्रोफेसर रवि कांत की देखरेख में आयोजित सप्ताहव्यापी जनजागरुकता कार्यक्रम के अंतर्गत एंटीबायोटिक दवाओं के दुरुपयोग व सही इस्तेमाल पर व्याख्यान दिए। संस्थान की एडिशनल प्रोफेसर मीनाक्षी धर ने बताया कि एंटीबायोटिक का उपयोग किसी भी छोटी बीमारी के लिए नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि इसी तरह से इसका इस्तेमाल होता है तो इससे किसी एक व्यक्ति को ही नहीं बल्कि सभी लोगों को इसका नुकसान उठाना पड़ता है। लिहाजा कोई भी दवा लेने से पहले हमें विशेषज्ञ चिकित्सक की सलाह अवश्य लेनी चाहिए जिससे हम एंटीबायोटिक दवाओं के नुकसान से बच सकते हैं। प्रोफेसर डा. रजनीश कुमार अरोड़ा ने बताया कि हमारे डिपार्टमेंट में एंटीबायोटिक के कम से कम उपयोग में लाने का प्रयास किया जाता है। उन्होंने बताया कि सामान्य बीमारियों में एंटीबायोटिक का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए, बल्कि पहले रोग की संपूर्ण जांच करानी चाहिए। एंटीबायोटिक देने की आवश्यकता पड़ती है तो उसे निर्धारित समयविधि तक ही दिया जाना चाहिए साथ ही इसके सही संकेत होने पर ही दिया जाना चाहिए। कॉर्डियोलॉजी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर भानु दुग्गल ने कहा कि एंटीबायोटिक दवा सोच समझकर दी जानी चाहिए और इसे देते समय डब्ल्यूएचओ की चेतावनी का खयाल रखा जाना चाहिए, जिसमें विश्व स्वास्थ्य संगठन ने आगाह किया है कि एंटीबायोटिक का बेवजह इस्तेमाल व प्रतिरोधक क्षमता होने की वजह से वर्ष 2030 तक 10 मिलियन तक लोग अपनी जान गंवा सकते हैं। इस अवसर पर कार्यक्रम आयोजक डॉ. पीके पंडा, प्रोफेसर सुरेश कुमार शर्मा, प्रोफेसर मनीष शर्मा, डॉ. राखी मिश्रा, ट्यूटर मिस प्रिया शर्मा, मिस हेमलता आदि मौजूद थे।