ऋषिकेश गुर्दे की पथरी को बिल्कुल भी अनदेखा ना करे, एम्स में इलाज आयुष्मान भारत योजना से संम्भव।

त्रिवेणी न्यूज 24
ऋषिकेश l यदि आपको गुर्दे की पथरी के दर्द की शिकायत है, तो इसे बिल्कुल भी अनदेखा नहीं करें। यह लापरवाही शरीर के अन्य हिस्सों को भी नुकसान पहुंचा सकती है, इससे जीवन को खतरा हो सकता है। इस बीमारी के इलाज के लिए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में सभी उच्च तकनीक की सुविधाएं उपलब्ध हैं। इस बीमारी का इलाज आयुष्मान भारत योजना में भी शामिल है। विशेषज्ञ चिकित्सकों की मानें तो गुर्दे की पथरी संबंधी बीमारी को लोग अक्सर अनदेखा कर देते हैं। इस बीमारी को नेफ्रोलिथियाॅसिस नाम से जाना जाता है। इस बीमारी का समय पर इलाज नहीं कराने से कई बार यह बीमारी घातक व जानलेवा हो जाती है। भले ही पारंपरिक तौर-तरीकों से लेकर आधुनिक एलोपैथी पद्धति तक उपचार की सभी प्रणालियां इस बीमारी के उपचार का दावा करती हैं, लेकिन देखा गया है कि पीड़ित व्यक्ति पूरी तरह से ठीक होने की उम्मीद में इधर-उधर परेशान होकर अपनी जान गंवा बैठता है।
एम्स निदेशक प्रोफेसर रवि कांत ने बताया कि संस्थान में सभी प्रकार के गुर्दे की पथरी के निदान और उपचार के लिए पूरी तरह से सुसज्जित व आधुनिकतम तकनीकी की मेडिकल सुविधाएं उपलब्ध हैं। इसके साथ ही यूरोलाॅजी विभाग में एक उन्नत यूरोलॉजी सेंटर बनाया जा रहा है l उन्होंने बताया कि पेट और जांघ के बीच के भाग और बगल (फ्लैंक) में उतार-चढ़ाव के साथ कष्टदायी दर्द होना इसका प्रमुख लक्षण है। जिससे बुखार और ठंड लगने के साथ मूत्र मार्ग में संक्रमण हो सकता है। इसके अलावा पथरी से जलन और मूत्र में रक्त का प्रवाह भी हो सकता है। अगर समय पर इलाज नहीं किया गया तो इसका प्रभाव सीधे किडनी में पड़ता है जिससे किडनी को अपरिवर्तनीय क्षति हो सकती है। डा. मित्तल ने कहा कि बगल (फ्लैंक) में या पेट और जांघ के बीच के भाग में अत्यधिक असहनीय दर्द की शिकायत होने पर रोगी को शीघ्रातिशीघ्र पूर्ण जांच के लिए मूत्र रोग विशेषज्ञ से संपर्क करना चाहिए और तत्काल दर्द से राहत के लिए एनएसएआईडीएस जैसे ( डिक्लोफैनेक) दवा शुरू करनी चाहिए। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि गुर्दे की पथरी बनने से रोकने के लिए व्यक्ति को अधिकाधिक तरल पदार्थ पीना चाहिए। ताकि दिन में न्यूनतम 2 लीटर तक मूत्र का विसर्जन हो सके। इसके अलावा उनकी यह भी सलाह है कि रोगी को कम नमक वाला भोजन, मांस का कम उपयोग, कैफीनयुक्त पेय पदार्थों का भी त्याग कर देना चाहिए।
गुर्दे की पथरी के लक्षण और उपचार इस प्रकार से है।
1- पेट के निचले हिस्से में या पेट और जांघ के बीच के भाग में उतार चढ़ाव के साथ हल्का दर्द होना जो कि छोटी पथरी के लक्षण हैं। ऐसे लक्षण के रोगी रोजाना 8-10 गिलास पानी का सेवन करें।
2- ठंड लगने के साथ बुखार आना, जी मचलना और उल्टी की शिकायत , ऐसे लक्षण 1 सेंटीमीटर से बड़ी पथरी के हो सकते हैं। ऐसे मरीजों का शॉक वेव लिथोट्रिप्सी के साथ इलाज किया जा सकता है। इस तरह के रोगी कैफीनयुक्त पेय पदार्थों से बचें और कम नमक वाला आहार ले
3- मूत्र में रक्त आना, यह बड़ी पथरी के लक्षण हैं। इसका इलाज एंडोस्कोपिक लिथोट्रिप्सी और पर्क्यूटेनियस नेफ्रोलिथोटोमी तकनीक से किया जाता है। रोगी को पालक, नट्स, चॉकलेट्स आदि ऑक्सालेट युक्त भोजन का पूर्णरूप से त्याग कर देना चाहिए।