ऋषिकेश- राजकीय चिकित्सालय में नवजात बच्चे की मौत पर परिजनों ने काटा हंगामा

त्रिवेणी न्यूज 24
ऋषिकेश- राजकीय चिकित्सालय में नवजात बच्चे की मौत से हॉस्पिटल प्रशासन में हड़कंप मच गया परिजनों ने अस्पताल प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया।
शनिवार को राजकीय चिकित्सालय मे नेशल हेल्थ मिशन की राज्य निदेशक डॉक्टर सरोज नैथानी का विजिट था। राजकीय चिकित्सालय में उनका निरिक्षण चल रहा था दूसरी तरफ लेबर रूम में एक नवजात ने दम तोड़ दिया घटना लगभग 12 बजे दोपहर की है। दोगी पट्टी के रहने वाले अनिल सिंह की पत्नी की डिलीवरी के लिए हॉस्पिटल में भर्ती कराया था। डिलीवरी के समय डॉक्टर्स ने उनको बताया की बच्चे का साइज बड़ा है सर भी बढ़ा है। बताया जा रहा है कि बच्चा साढ़े तीन किलो का था। ऐसे में वे नार्मल डिलीवरी के बजाय ऑपरेशन से कराएं। अनिल सिंह की यह चौथी संतान थी उनकी तीन लड़कियां हैं। उन्होंने डॉक्टर से नॉर्मल डिलीवरी का आग्रह किया। नार्मल डिलीवरी करवाने के प्रयास में बच्चे की मौत हो गयी है। डॉक्टर्स का कहना है बच्चा मृत हालत में था। इसमें परिजनों का आरोप है कि पैदा होने के बाद एम्स या जौलीग्रांट ले जाने को क्यों कहा गया। डॉक्टरों के कहने पर बच्चे को गाड़ी में रखा कर एम्स ले गए तब तक बहुत देर हो चुकी थी और बच्चे ने दम तोड़ दिया जबकि उसे ऑक्सीजन की जरुरत थी। परिजनों का आरोप है कि बच्चे को वेंटिलेशन भी नहीं दिया गया। जब हेल्थ निदेशक से बात की तो उन्होंने कहा यहाँ पर पैडरियाटिक वेंटीलेटर की सुविधा नहीं है। अगर सुविधा नहीं है तो क्योँ ऐसे केस को लिया गया जबकि डॉक्टर को पता था ऐसी संभावना हो सकती है। आज 3 बजे के लगभग जब निदेशक जाने लगी हॉस्पिटल स्टाफ विदाई दे रहा था निदेशक को एंट्री गेट पर बच्चे के परिजन निदेशक के आगे रोते बिलखते दिखे। वहीँ निदेशक और सीएमएस डॉक्टर रमेश सिंह राणा ने कहा इसकी जांच होगी। ऐसे में हॉस्पिटल प्रशासन की कमी साफ़ नजर आयी जबकि खुद हॉस्पिटल की कमियों को लेकर NHM की राज्य निदेशक निरिक्षण करने हॉस्पिटल पहुंची थी। वहीँ उत्तराखंड युवा प्रकोष्ठ के अध्यक्ष राजेश कपसूरी ने कहा यह बहुत दुखद है हमारा बच्चा चला गया कौन जिम्मेदार होगा। उन्होंने आरोप लगाया सरकारी हॉस्पिटल में जब भी आओ यही जवाब मिलता है यहाँ हमेशा कमियां दिखाई देती हैं आम जन परेशान रहता है। उन्होंने इस प्रकरण की जांच कर दोषियों की विरुद्ध सख्त कार्रवाई की मांग की है।
नवजात के पिता अनिल सिंह टिहरी जिले के दोगी पट्टी लोयल गांव के रहने वाले हैं उनका कहना था कि जैसे ही बच्चा पैदा हुआ उसके बाद हमें बोला गया कि जौलीग्रांट या एम्स ले जाइए जबकि उसे वेंटिलेटर की जरूरत थी। जाते वक्त भी वेंटिलेटरलेटर नहीं दिया गया हम ऐसे ही बच्चे को लेकर गए। इससे पहले उन्होंने कहा कि मुझे सीज़रीन करने के लिए कहा गया था लेकिन मैंने उनसे आग्रह किया कि अगर नार्मल डिलीवरी हो जाती है तो अच्छी बात है। लेकिन अगर ऐसा केस था तो डॉक्टर ने लिया क्यों ? इस पर हॉस्पिटल प्रशासन पर सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं। वहीं एनएचएम की डायरेक्टर के सामने बच्चे के पिता व परिजन बिलखते हुए दिखाई दिए. उनका कहना था कि हमारा बच्चा है और अगर डिलीवरी हो गई उसके बाद वेंटीलेटर की सुविधा ना होने से ऐसा हादसा हो गया। इस घटना से खुद एनएचएम डायरेक्टर डॉ. सरोज नैथानी भी हैरान थी। उन्होंने माना हॉस्पिटल में पैडरियाटिक वेंटीलेटर की सुविधा नहीं है। बता दें कि NQAS की टीम 10 मार्च को हॉस्पिटल का निरिक्षण करने पहुंची रही है ऐसे में उसके लिए तैयारी चल रही है। दो डॉक्टर्स की एक टीम पिछले तीन दिन से देहरादून से आयी हुई है लगातार निरिक्षण कर रही है। अब ऐसी घटना होंगी सुविधा नहीं होंगी, उचित उपचार नहीं मिलेगा और मौतें होती रहेंगी तो सवालिए निशान खड़े होना लाजमी है। ऐसे में ऋषिकेश का राजकीय चिकित्सालय NQAS की कसौटी में कितना खरा उतर पायेगा यह सबसे बड़ा सवाल है।

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