ऋषिकेश- कृष्ण की लीलाओं से मिलता है प्रकृति संरक्षण का संदेश – दुर्गेशाचार्य

त्रिवेणी न्यूज 24
ऋषिकेश – कथावाचक डॉ. दुर्गेशाचार्य महाराज ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने भी रासलीलाओं को रचकर हमें प्रकृति के संरक्षण का संदेश दिया है। लेकिन हम रत्नगर्भा पृथ्वी को विषाक्त कर रहे हैं, जिससे उसके अंतर में मौजूद अमृतरुपी रस समाप्त हो रहा है।
खत्री खड़क माप में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के छठवें दिन डॉ. दुर्गेशाचार्य ने श्रीमद् भागवत कथा के वृत्तातों का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि जिस तरह गोपियों ने श्रीकृष्ण को अपने अंतर में बसाया तो उन्हें जीवन में शाश्वत आनंद की प्राप्ति हुई। उसी प्रकार कृष्ण की रासलीलाएं ऐसे ही आनंद को पाने को प्रेरित करती हैं। उन्होंने इन्हीं लीलाओं के माध्यम से पृत्वी के पंच महाभूतों को परिष्कृत करने के साथ इसे शुद्ध रखने की सीख भी दी। आचार्य ने कहा कि श्रीकृष्ण ने पूतना, कालियानाग, व्योमासुर और तृणावृत्त का उद्धार कर धरती में अविद्या का अंत करने के साथ ही जल व वायु की शुद्धता और अंतरिक्ष की सुरक्षा का रास्ता बताया। इसके साथ ही गोवर्धन लीला के माध्यम से हमें स्पष्ट तौर पर पहाड़, नदी, वृक्ष और पर्यावरण को सहेजने की प्रेरणा दी। डॉ. दुर्गेशाचार्य ने कहा कि रत्नगर्भा पृथ्वी में आज हम रसायनों का प्रयोग कर उसके भीतर के अमृत तत्व को समाप्त कर रहे हैं। जो उपज रहा है वह जीवन के लिए विष जैसा है। इसलिए हमें भगवान कृष्ण के संदेश को आत्मसात कर प्रकृति के साथ रहने और उसे विषमुक्त रखने के लिए प्रयास करने चाहिए। इस अवसर पर कथा व्यास आचार्य महामाया प्रसाद शास्त्री, कृपाल सिंह पुंडीर, श्रीचंद सिंह, देवचंद पुंडीर, नार सिंह आदि मौजूद रहे।

%d bloggers like this:
Breaking News